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# "बैठे-बैठे सोचें बस तुझको, कोई | English Poetry

"बैठे-बैठे सोचें बस तुझको,
कोई होश नहीं है अब हमको,
कब दिन ढला कब हुआ सवेरा है!

आँखों में जब उतरे शबनम,
पीर का समुंदर पाते अपने अंदर,
हममें ये कैसा तेरा बसेरा है!
anjalisinghal5635

Anjali Singhal

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"बैठे-बैठे सोचें बस तुझको, कोई होश नहीं है अब हमको, कब दिन ढला कब हुआ सवेरा है! आँखों में जब उतरे शबनम, पीर का समुंदर पाते अपने अंदर, हममें ये कैसा तेरा बसेरा है! #Poetry #AnjaliSinghal

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