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प्रेम और वसन्त जीवन है ऋतु सम , कभी पतझड़ है तो

प्रेम और वसन्त  
जीवन है ऋतु सम ,
कभी पतझड़  है तो कभी वसंत है।
पतझड़ तब तब है आता ।
जब मन बहुत घबराता है।
जब होते हैं हर्षित तन मन प्राण,
वही बसंत बन जाता है।
प्रेम आया है वसुधा में जब भी
प्रेम और वसन्त  
जीवन है ऋतु सम ,
कभी पतझड़  है तो कभी वसंत है।
पतझड़ तब तब है आता ।
जब मन बहुत घबराता है।
जब होते हैं हर्षित तन मन प्राण,
वही बसंत बन जाता है।
प्रेम आया है वसुधा में जब भी