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महकी-महकी सी फिज़ा लगती है, बहकी-बहकी हर अदा लगती


महकी-महकी सी फिज़ा लगती है,
बहकी-बहकी हर अदा लगती है।

यूँ तो हर रोज़ उसको देखा था,
जाने क्यों आज जुदा लगती है।

मुझको लगती वो कभी बेगानी
कभी जीने की दुआ लगती है।

दिल की बातें सदा जो दिल में थीं,
लव पे लाएगी जुबां लगती है।

जीना मुश्किल है 'मीन'उसके बिन
अब वो जीने की वज़ह लगती है।

©Minesh chauhan
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