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फूल शाख से टूट कर गिरे, उलझ रहे लहराते बालों से,

फूल शाख से टूट कर गिरे,
उलझ रहे लहराते बालों से,

आंखों में तस्वीर संजोए गुमसुम,
बिखर रही है जज्बातों से,

आंचल को सर पर ओढ़े,
वो शीशे को निहारा करती है,

चौखट पे अपने परछाई संग खड़ी,
वो फिक्र में अपने चांद के रहती है,

झुमके उनकी मासूमियत को संवारते,
होठ खामोश रहकर पास मुझे बुलाते,

ये देख वक्त ने टुकड़ों को तराश दिया,
एक शायर को मुझमें  जिंदा कर।

©Vishal Pandey
  #BlownWish #Love