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अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​, फिर भी मश

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

©Sorif
  rahat indori shayari 
#Tanhai
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Sorif

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rahat indori shayari #Tanhai #शायरी

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