गीत :- जीवन की नित बगिया महके , माँग रहा मैं ईश । सफल रहे वैवाहिक जीवन , खुशियां दो जगदीश ।। जीवन की नित बगिया महके ... आँगन में महुआ रस बरसे , पुष्प खिले कचनार । राम-सिया सी जोड़ी लागे , देखे सब संसार ।। दूर पीर परछाई गिरधर , रखना इनके द्वार । अपने दोनो हाथों से वर , सुनों कोसलाधीश ।। नित जीवन की बगिया महके .... दो पक्षी का एक बसेरा , करने को तैयार । सरल बना दो जीवन नैय्या , थामों तुम पतवार ।। आँगन इनके फूल खिलाकर , चहका दो परिवार । आस तुम्हीं से माँ जगदम्बा , हर लो इनकी टीश । नित जीवन की बगिया महके .... मेंहदी यूँ ही खिलती रहे , चमके नित सिंदूर । समय नही वह आने पाये, हो जाये मजबूर ।। पल भर में टूटे ये बंधन , हो जाये फिर दूर । नहीं प्रभु कभी ऐसा करना , कहता है वागीश नित जीवन की बगिया महके .... नित जीवन की बगिया महके , माँग रहा आशीष । सफल रहे वैवाहिक जीवन , खुशियां भर दो ईश ।। १८/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- जीवन की नित बगिया महके , माँग रहा मैं ईश । सफल रहे वैवाहिक जीवन , खुशियां दो जगदीश ।। जीवन की नित बगिया महके ... आँगन में महुआ रस बरसे , पुष्प खिले कचनार । राम-सिया सी जोड़ी लागे , देखे सब संसार ।।