उफ्फ, इस लम्हे को,यहीं ठहर जाने दे । मोहलत न दे दि

उफ्फ, इस लम्हे को,यहीं ठहर जाने दे ।
मोहलत न दे दिलवर,आ अब कहर ढाने दे।।

©Shubham Bhardwaj
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