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परदेश जाते वक्त मां सहेजने लगती है मेरा जरूरी सामा

परदेश जाते वक्त
मां सहेजने लगती है मेरा जरूरी सामान ,
मेरे खाने की चिंता में बांधने लगती है 
अचार, पापड़, घी, मसाले, दाल,चावल की
छोटी , बड़ी पोटली ...
मैं कहती हूं
परदेश में भी मिलती है ये सारी चीज़े ,
पर जानती हूं
नहीं होता उनमें मां के हाथ का स्वाद .
इन पोटलियों में वो बांधती है
 सामान के साथ ढेर सारा प्यार
जीवन के फीकेपन में स्वाद ,
आज दाल में जायका कम है
परदेश में बैठी तुम्हारी बिटिया तुम्हें याद करते हुए
खा रही अचार के साथ भात –दाल 
मम्मी ! मेरी 
तुम्हारे होने से ही है जीवन में स्वाद....

© Pallavi pandey
  #Apocalypse