मासूम मासूमियत का नज़ारा.. बड़ा अज़ीब होता हैं.. जैसे कोई पहली पहली दफा सावन की बारिश का नज़ारा हों.. बूंदों का अपना अलग ही मुकाम होता हैं.. *** उसे पहली दफा ही पूरी जमीं को भीगाना होता हैं.. उसको क्या पता होता हैं... जमीं को चंद बूंदों की नहीं.. पूरे आसमा की जरूरत है.. *** मासूम ही तो होती है.. पहल पहल दफा .. मासूमियत.. फिर चाहे वो बारिश की हो.. बचपन की *** #अभय #मासूम