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बहता लम्हा :- *************** पानी की तरह बहता लम

बहता लम्हा :-
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पानी की तरह  बहता लम्हा न मिले दुबारा,
मुर्झा गए जो फूल इक बार न खिलें दुबारा।

जो लिखा था मुकद्दर में उससे न भाग पाए,
खुले जो ज़ख्म पुराने उन्हें हम सिले दुबारा।

दरमियां ढ़ह चुकी है जो भरोसे की इमारत,
मरम्मत से न होगें पहले से वो किले दुबारा।

पथरीली राहों से भरा है सफ़र  ज़िन्दगी का,
भरे जो घाव बर्षो में वो! आज छिले दुबारा।

भूली बिसरी यादों पे चढ़ी थी ये गर्द कब से,
हमें याद आ गये हैं वहीं शिकवे-गिले दुबारा।

छोड़ आए जिस कहानी को अंधेरे मोड़ पर!
अब नहीं करना हमें शुरू!सिलसिले दुबारा।

लगा रहता था कभी हुज़ूम इर्द-गिर्द मेरे भी!
कहां मिलते हैं! बिछड़े हुए काफ़िले दुबारा।

अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️

©Archana Tiwari Tanuja
  #BehtaLamha #Nojoto #kavita
#MyThoughts  12/08/2023

बहता लम्हा :-
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पानी की तरह  बहता लम्हा न मिले दुबारा,
मुर्झा गए जो फूल इक बार न खिलें दुबारा।

#BehtaLamha Nojoto #kavita #MyThoughts 12/08/2023 बहता लम्हा :- ************ पानी की तरह बहता लम्हा न मिले दुबारा, मुर्झा गए जो फूल इक बार न खिलें दुबारा। #कविता

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