ख्वाबों की खिड़की पर बैठकर, असफलता के डर की ठंड में अकड़कर, अकेलेपन सी ओस की गिरती बूँदों सी तन्हाई के साथ, रहता है उसे धुंध के पीछे छिपी, धूप का इंतजार,,,,,, तो ये धुंध छटेगी, गुनगुनी सी होती फिजा़ओं में, सपने मुस्कुराएँगें, धुंध के पीछे दिखती हरियाली सी उम्मीद के साथ, मेहनत का गुनगुना रंग धूप की किरण दिखाएगा, मंजिल के रास्तों सा वो नीला होता आंसमां दिखेगा। हाँ,,,, धूप निकलेगी, धुंध के पीछे छिपी , वो धूप खिलेगी।। ------अंकिता revise#corona.. will fight against you😡