अब वो दीवारें बोल रहे है सुना पन उनको भी खल रहे है कभी उसमे लटकती तस्वीरें हस्ते खिलते मुस्कुराते थे अभी सब होकर भी खामोशियां राज करते है। जब प्यार दिखावा बन गया है रिश्ते बोझ लग रहे है बंधन बिखरे हुए है इटें केसे खुश होंगे जुड़े रहकर। अपने पन के रंग अब फिका है दीवारें केसे चमकेंगे रंग पाकर अब वो घर, घर नहीं रहे बस एक मजबूत मकान है जिसमे कमजोर रिश्ते मजबूरी के नाम पे भाड़े में रहते है। Jyotshna rani sahoo अब वो दीवारें बोल रहे है सुना पन उनको भी खल रहे है कभी उसमे लटकती तस्वीरें हस्ते खिलते मुस्कुराते थे अभी सब होकर भी खामोशियां राज करते है जब प्यार दिखावा बन गया है रिश्ते बोझ लग रहे है