घूट- घूट कर अदब से पीता हूँ उसे फ़ुर्सत के हिसाब से पीता हूँ । टहलता हूँ बरामदें तफ़सील से जागते हुए ख्बाब से पीता हूँ । सोचते सोचते घूट घूट चुस्की वाह उसे क्या ख़ूब से पीता हूँ । धीरे धीरे हल्क़ होता है गर्म मज़े को अज़ीब से पीता हूँ । रस डुबो के चूसता हूँ पहले बच्चों की तरकीब से पीता हूँ । ( रस - टोस्ट ) मैं अज़ीब नहीं, है उसका नशा सिर्फ़ और सिर्फ़ तलब से पीता हूँ। जाम तो हो गया महफ़िलों का तन्हाई में भी तहज़ीब से पीता हूँ । आओ कभी मेहमाँ होके ग़रीबखाने फिर कहोगे के मैं भी अदब से पीता हूँ । प्याले की गर्माइश हथेलियों ने सेकीं उँगलियों में फंसा के लब से पीता हूँ । बस ज़िन्दगी में यही किया है जनाब चाय को भी अन्दाज़े शराब से पीता हूँ । शुकूँ से बैठ के लो चाय की चुस्कियाँ राम मैं तो सतिन्दर को बड़े करीब से पीता हूँ । ©️✍️ सतिन्दर #NojotoQuote पूरी नज़्म पीता हूँ घूट- घूट कर अदब से पीता हूँ उसे फ़ुर्सत के हिसाब से पीता हूँ । टहलता हूँ बरामदें तफ़सील से जागते हुए ख्बाब से पीता हूँ । सोचते सोचते घूट घूट चुस्की