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Shreyansh Gaurav

अभी किसी ने कहा "इश्क़ उससे करों जिसमें 
खामियाँ बहुत है" इक़ बार यें हमनें गुनाह किया है..!

इस उम्मीद पे की सब सही हो जायेगा इक़ दिन 
खामियों और तरक्की हुयी,यें हमनें गुनाह किया है..!

वो अब बदलने से रहें, कोई गुंजाइश ही नहीं बची 
ज़िन्दगी की तलाश थीं,अब मौत ने आगाह किया है..!

इस इश्क़ में देखो कितने तबाह भटक रहें दर ब दर 
उम्मीद थीं उससे,क्या ख़त्म खामियाँ को किया है.!

ख़त्म खामियाँ नहीं हुयी,यें इश्क़ में तबाह,पागल है 
आवाज़ आयी अपना देखो,तुमने ख़ुद क्या किया है..!

खामियों से इंसान तबाह है,घर बर्बाद है आशिक़ी में 
उसकी ख़ातिर सब छोड़ा,देख तुमने यें क्या किया है..!!

©Shreyansh Gaurav #गज़ल 
#Thinking

Gurudeen Verma

#गज़ल

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White शीर्षक- कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले
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कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले।
होगी हमारी ही बर्बादी, तुमको अगर हम पा भी ले।
कुछ भी नहीं हमको फायदा------------------।।

वैसे हमारी मोहब्बत, तुमसे से है एक तरफा ही।
होंगे नहीं दिल से खुश तुम, तुमको अगर हम पा भी ले।।
कुछ भी नहीं हमको फायदा-------------------।।

तोड़ना होगा हमको, अपने अजीजों का दिल।
होंगे जहाँ हम बेकदर, तुमको अगर हम पा भी ले।।
कुछ भी नहीं हमको फायदा--------------------।।

तेरा यार तो मेरा, करना चाहता है खून।
कत्ल तेरे हाथों हम होंगे, तुमको अगर हम पा भी ले।।
कुछ भी नहीं हमको फायदा-------------------।।

इसका सबूत क्या है, कि दामन तेरा पवित्र है।
शौक तेरे तो जुदा होंगे, तुमको अगर हम पा भी ले।।
कुछ भी नहीं हमको फायदा-------------------।।

सिर्फ इश्क ही नहीं है, जिंदगी की जरूरत।
मंजिल मेरी नहीं मिलेगी, तुमको अगर हम पा भी ले।।
कुछ भी नहीं हमको फायदा------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गज़ल

Gurudeen Verma

#गज़ल

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White शीर्षक- खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
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खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे।
जरूरत हो जिसको वह, आ जाये हम तक।।
चाहते नहीं हैं अब हम, करना गुलामी।
मोहब्बत हो जिसको वह, आ जाये हम तक।।
खुशामद किसी की अब-----------------------।।

जताते थे हमको अपनी मजबूरियाँ।
मजबूर थे जब उनकी मदद को।।
मंजूर नहीं हमको अब सिर झुकाना।
मिलना हो जिसको वह, आ जाये हम तक।।
खुशामद किसी की अब------------------।।

रहम हमपे क्यों उनको आया नहीं।
सितम जब हमपे किसी ने किये थे।।
नहीं अब पसंद उनसे हाथ मिलाना।
कहना हो जिसको कुछ, आ जाये हम तक।।
खुशामद किसी की अब-------------------।।

दिखावे के रिश्तें हम नहीं मानते।
बताते नहीं हमको मतलब धर्म का।।
यहाँ मतलबी बताओ कौन नहीं है।
देखना हो जिसको सच, आ जाये हम तक।।
खुशामद किसी की अब-------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गज़ल

Gurudeen Verma

#गज़ल

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White शीर्षक- अब जी हुजूरी हम करते नहीं
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अब जी हुजूरी हम करते नहीं।
कोई मजबूरी अब हमारी नहीं।।
चाहे कोई माने गुरुर यह हमारा।
 कमजोरी कोई अब हमारी नहीं।।
अब जी हुजूरी हम ----------------------।।

आये नहीं वो तब हमसे मिलने।
स्वागत उनका था जब इस दर पे।।
बेताब है अब वो मिलने को हमसे।
ख्वाहिश मगर अब हमारी नहीं।।
अब जी हुजूरी हम ----------------------।।

गर्दिश के दिन थे जब कल हमारे।
मना कर दिया हमको देने को पनाह।।
करते हैं तारीफ अब वो हमारी।
रौनक कम अब जो हमारी नहीं।
अब जी हुजूरी हम ----------------------।।

उन्होंने लिया बहुत मजा कल हमारा।
उड़ाया मजाक बहुत हमारी गरीबी का।।
बताते हैं हमको, अब वो अपना।
मोहब्बत उनसे हम हमारी नहीं।।
अब जी हुजूरी हम ----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गज़ल

Gurudeen Verma

#गज़ल

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White शीर्षक- हमको नहीं गम कुछ भी
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हमको नहीं गम कुछ भी, कि तुमको अपना बना नहीं सके।
छोड़ दिया ख्याल तुम्हारा, कि मांग तेरी हम सज़ा नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी----------------------।।

तुमने दिया है हमको क्या, कि हम मनाते आकर तुमको।
बोले नहीं अपनों की तरह, हम हाथ तुमसे मिला नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी------------------------।।

तुमको फिक्र है अपनी खुशी की, हमारे दुःख से मतलब नहीं।
मालूम तुम्हें है अरमां हमारे, सिर तुमको हम झुका नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी-----------------------।।

बर्बाद हम होना चाहते नहीं, बदनाम हम होना चाहते नहीं।
हमारे लिए कब दुहा की तुमने, तुम्हें हम साथी बना नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी----------------------।।

 तुमको नहीं अच्छी लगती है, हमारी हस्ती- हमारी बस्ती।
खुश हैं हम इस छोटे शहर में, हम मनाने तुम्हें आ नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी-----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गज़ल

Gurudeen Verma

#गज़ल

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शीर्षक - अभी तो वो खफ़ा है लेकिन कल------
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अभी तो वो खफ़ा है लेकिन, कल कहेंगे हमको।
करके इशारा वो अपना, कल कहेंगे हमको।।
अभी तो वो खफ़ा है ----------------------------।।

बात अपने दिल की वो, रखते हैं अपने दिल में।
भेजकर वो अपना खत, कल कहेंगे हमको।।
अभी तो वो खफ़ा है -------------------------।।

उनकी खुशी कम नहीं हो, उनसे दूर हम हैं।
हाथ मिलाकर वो अपना, कल कहेंगे हमको।।
अभी तो वो खफ़ा है ---------------------------।।

खता उनकी भी नहीं है, मजबूरी कुछ उनकी है।
मानकर वो अपना प्यार, कल कहेंगे हमको।।
अभी तो वो खफ़ा है --------------------------।।

उनको हमारे नगमें, देखा है सुनते हमने।
ख्वाब अपनी आँखों का, कल कहेंगे हमको।।
अभी तो वो खफ़ा है --------------------------।।

हम सा प्यार नहीं मिलेगा,यह खबर उनको भी है।
सच्चा साथी वो अपना, कल कहेंगे हमको।।
अभी तो वो खफ़ा है -------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गज़ल

Gurudeen Verma

#गज़ल

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White शीर्षक- चाहे किसी के साथ रहे तू , फिर भी मेरी याद आयेगी
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चाहे किसी के साथ रहे तू , फिर भी मेरी याद आयेगी।
आँसू बहायेगी छुप- छुपकर, तुमको नींद नहीं आयेगी।।
चाहे किसी के साथ रहे तू -----------------------------।।

मुझ सी मोहब्बत नहीं मिलेगी, जिसको बनाया है तुमने मीत।
तोड़ेगा जब वह दिल तुम्हारा, मेरी वफ़ा तुमको तड़पायेगी।।
चाहे किसी के साथ रहे तू -----------------------------।।

जब भी तू मुझसे रूठी है, मैंने मनाया तुमको बहुत।
होगी नहीं तेरी इज्जत ऐसी, तू बहुत वहाँ पछ्तायेगी।।
चाहे किसी के साथ रहे तू -----------------------------।।

चाहे रहे तू वहाँ महलों में, या फूलों पर तू सोये।
फिर भी होगी तू पिंजरे में, आजादी ऐसी नहीं पायेगी।।
चाहे किसी के साथ रहे तू -----------------------------।।

बहुत किया तुमने मौज मेरे साथ, तुमको भी मालूम है।
साया मेरा नहीं छोड़ेगा दामन, आवाज मुझको लगायेगी।।
चाहे किसी के साथ रहे तू -----------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गज़ल

Gurudeen Verma

#गज़ल

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White शीर्षक - अच्छे नहीं है लोग ऐसे, जो रूप बदल लेते हैं पल में
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अच्छे नहीं है लोग ऐसे, जो रूप बदल लेते हैं पल में।
वादें तो बहुत कर लेते हैं, बात बदल लेते हैं पल में।।
अच्छे नहीं है लोग ऐसे-----------------------।।

चंचल बहुत ये होते हैं, छोर नहीं इनकी बातों का।
यकीन तो ये दिला देते हैं, सोच बदल लेते हैं पल में।।
अच्छे नहीं है लोग ऐसे---------------------।।

होते हैं गम्भीर बहुत ये, दर्द किसी दिल का सुनकर।
अश्क दिखाते हैं आँखों में, नजर बदल लेते हैं पल में।।
अच्छे नहीं है लोग ऐसे----------------------।।

अपनी अमीरी को ये छुपाने, लेते हैं गरीबों का सहारा।
सोते हैं कुछ पल ये जमीं पर, सेज बदल लेते हैं पल में।।
अच्छे नहीं है लोग ऐसे-----------------------।।

साथ रहेंगे कुछ दिन तो ये, थोड़ी मदद भी ये करेंगे।
हाथ जोड़कर दुहा करेंगे, दिल बदल लेते हैं पल में।।
अच्छे नहीं है लोग ऐसे---------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गज़ल

करिश्मा ताब

Death_Lover

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