किसको कब जाना है जाने कौन, संत, फ़कीर, नज़ूमी बैठे मौन, प्रकृति नियम से चलती सब जाने, जीवन चले इशारे किसके गौण, बंद है दरवाज़ा अज्ञान के ताले में, कैसे खुले जड़वा रक्खा सागौन, जीवन का हरपल अवसर से पूर्ण, वक़्त मुसाफ़िर खाना माया रौण, पूरे का व्यापार जगत है एक मेला, सिक्का चलता ख़रा न आधा-पौन, बिना ज्ञान नौका हरगिज पार नहो, कोशिश करके देखलो चाहे जौन, मिला सारथी 'गुंजन'दरिया पार हुए, भटक गए तो लख चौरासी यौन, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #जाने कौन#