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#काबुलीवाला भाग7 #काबुलीवाला हम बड़े होते होते कि

#काबुलीवाला भाग7
 #काबुलीवाला

हम बड़े होते होते कितने बदल जाते हैं। क्यों किसी का दुःख हम महसूस नहीं कर पाते। मैं नियमित रूप से उस बच्चे के मन का इलाज करने लगा।वो अब मुझ पर विश्वास करने लगा था। उसने अपना नाम रोहित बताया। उसकी एक बहन भी थी जो कि अनाथाश्रम में ही थी।उसने बताया कि वहाँ पर बच्चों से काम कराते थे। दिन में सिर्फ दो बार आधा पेट ही खाना मिलता था। कभी किसी बाहरवाले से बात कर लो तो रात को बहुत मार पड़ती थी। दिन रात गालियाँ देते थे वहाँ पर लोग।
अनाथालय में बहुत गंदगी है ये हम सब जानते हैं। कितने बदकिस्
#काबुलीवाला भाग7
 #काबुलीवाला

हम बड़े होते होते कितने बदल जाते हैं। क्यों किसी का दुःख हम महसूस नहीं कर पाते। मैं नियमित रूप से उस बच्चे के मन का इलाज करने लगा।वो अब मुझ पर विश्वास करने लगा था। उसने अपना नाम रोहित बताया। उसकी एक बहन भी थी जो कि अनाथाश्रम में ही थी।उसने बताया कि वहाँ पर बच्चों से काम कराते थे। दिन में सिर्फ दो बार आधा पेट ही खाना मिलता था। कभी किसी बाहरवाले से बात कर लो तो रात को बहुत मार पड़ती थी। दिन रात गालियाँ देते थे वहाँ पर लोग।
अनाथालय में बहुत गंदगी है ये हम सब जानते हैं। कितने बदकिस्

भाग7 #काबुलीवाला हम बड़े होते होते कितने बदल जाते हैं। क्यों किसी का दुःख हम महसूस नहीं कर पाते। मैं नियमित रूप से उस बच्चे के मन का इलाज करने लगा।वो अब मुझ पर विश्वास करने लगा था। उसने अपना नाम रोहित बताया। उसकी एक बहन भी थी जो कि अनाथाश्रम में ही थी।उसने बताया कि वहाँ पर बच्चों से काम कराते थे। दिन में सिर्फ दो बार आधा पेट ही खाना मिलता था। कभी किसी बाहरवाले से बात कर लो तो रात को बहुत मार पड़ती थी। दिन रात गालियाँ देते थे वहाँ पर लोग। अनाथालय में बहुत गंदगी है ये हम सब जानते हैं। कितने बदकिस्