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येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न

येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः !
ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति !!

अर्थार्थ:- जिन मनुष्यों में न विद्या का निवास है, न मेहनत का भाव, न दान की इच्छा, और न ज्ञान का प्रभाव, न गुणों की अभिव्यक्ति और न धर्म पर चलने का संकल्प, वे मनुष्य नहीं, वे मनुष्य रूप में जानवर ही धरती पर विचरते हैं।

Britrihari "Nitishatkam"- Slok, 13 #अंजानसारस्वत#ज्ञानगंगा
येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः !
ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति !!

अर्थार्थ:- जिन मनुष्यों में न विद्या का निवास है, न मेहनत का भाव, न दान की इच्छा, और न ज्ञान का प्रभाव, न गुणों की अभिव्यक्ति और न धर्म पर चलने का संकल्प, वे मनुष्य नहीं, वे मनुष्य रूप में जानवर ही धरती पर विचरते हैं।

Britrihari "Nitishatkam"- Slok, 13 #अंजानसारस्वत#ज्ञानगंगा