ज़ब हम मनचाही जिंदगी जीते है तों लगता है.... हम कलयुग के नही सतयुग के बाशिंदे है तब हमारी समझ ही हमारा क़ानून हमारा विवेक होी है... ज़ो हमेँ स्वच्छढ़ता और निर्भीकता से जीना सिखाती है तब जरूरी नही कि हमेँ किसी दोस्त क़ी जरूरत महसूस हो क्योंकि तब हमारी समझ ही हमारा अपना "बेस्ट फ्रेंड " होगा ©Parasram Arora बेस्ट फ्रेंड