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रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं

रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं
भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं।
यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा,
फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है।





















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©Dhaneshdwivediwriter रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं
भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं।
यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा,
फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है।
रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं
भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं।
यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा,
फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है।





















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©Dhaneshdwivediwriter रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं
भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं।
यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा,
फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है।