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ग़ज़ल की रदीफ़ काफिये से बाहर मिल तू अपने हुस्

ग़ज़ल की रदीफ़ काफिये से  बाहर मिल 
तू  अपने  हुस्न  के  दायरे  से  बाहर मिल

मिलने बुलाऊँ इस मर्तबा पूनम  की रात
तो तू सखियों के काफ़िले से बाहर मिल 

रखना खुद को  जरूरी है  हया  के पर्दे में 
कभी बे-लिबासी के दायरे से बाहर मिल

खींच लेंगे वक़्त की बनी तनाबों को दोनों
इस बार  ज़िस्म के  फ़ासले से  बाहर मिल

हक़ीक़त नहीं तो ख्वाबों की दरगाह में आ,
'कुमार' माँगे शाम के हाशिये से बाहर मिल  #kumaarsthought #kumaaronlove #kumaarromance #kumaarerotica

तनाबों - Ropes, रस्सी
ग़ज़ल की रदीफ़ काफिये से  बाहर मिल 
तू  अपने  हुस्न  के  दायरे  से  बाहर मिल

मिलने बुलाऊँ इस मर्तबा पूनम  की रात
तो तू सखियों के काफ़िले से बाहर मिल 

रखना खुद को  जरूरी है  हया  के पर्दे में 
कभी बे-लिबासी के दायरे से बाहर मिल

खींच लेंगे वक़्त की बनी तनाबों को दोनों
इस बार  ज़िस्म के  फ़ासले से  बाहर मिल

हक़ीक़त नहीं तो ख्वाबों की दरगाह में आ,
'कुमार' माँगे शाम के हाशिये से बाहर मिल  #kumaarsthought #kumaaronlove #kumaarromance #kumaarerotica

तनाबों - Ropes, रस्सी

#Kumaarsthought #kumaaronlove #kumaarromance #kumaarerotica तनाबों - Ropes, रस्सी