इज्जत दौलत सब मिलजया मां बाप दोबारे नहीं मिलते मा

इज्जत दौलत सब मिलजया मां बाप दोबारे नहीं मिलते 
माली के बिन बागां में ये फूल बहारे नहीं खिलते 

जे एक बै उठगे सिर पै  तै ये हाथ दोबारे नहीं मिलते
टुट जाए आसमानां तों ओह फेर सितारे नही मिलते।।

जो नयु सोच सै कामयाब होया सूं अपनी मेहनत तै
जे वो पैदा ना करते तो यें ख्यालात बेचारे नहीं मिलते

जो कदर ना करदे जून्दे जी मां-बापां दी
ओह लबयां वी सुरगां दे द्वारे नहीं मिलते

कोई कीमत की ला सकता है मां बापां दी
ए अरबां करोड़ां लख-हजारे नहीं मिलते

दुनिया दी हर चीज खरीदी जा सकती
जे ऐह तुरगे किते हाट-बाजारे नहीं मिलते

तू पूरे करदा शौंक उना दे पैसा ते
मजयां में जो दिन गुजारे नहीं मिलते

ए होंदे ने खेवट तुम्हारी कश्ती दे 
तू डूबेंगा मझधार किनारे नहीं मिलते

कितने भी कोई बणजे सुख दुख के साथी
मां बाप देवैं जो उसे सहारे नहीं मिलते।।

©Vijay Vidrohi
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