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मैं वक़्त रहते पलट जाता तो हम साथ होते शायद, मैं ब

मैं वक़्त रहते पलट जाता
तो हम साथ होते शायद,
मैं बेवकूफ़ी मे इंकार करना छोड़
उससे मिल लेता
तो हम साथ होते शायद,
मुस्कुरा कर वो बात टाल देता
तो हम साथ होते शायद,
अगर मेरी गलती ना होती
तो उसने यूँ छोड़ा ना होता, 
मुझे वापस आता देख उसकी ज़िन्दगी में
मुह मोड़ा ना होता, 
आज साथ बैठ कर
चाय हाथों मे लिए
उस बात को याद कर रहे होते
तो क्या बात होती ना, 
मेरी गलती नहीं होती शायद
तो ऐसा ना होता 
आज मैं अकेले ऐसे
यूँ ना होता  
.
काश, मैं वक़्त रहते पलट जाता..

- मयंक भारत भूषण लौतरिया मैं वक़्त रहते पलट जाता
तो हम साथ होते शायद,
मैं बेवकूफ़ी मे इंकार करना छोड़
उससे मिल लेता
तो हम साथ होते शायद,
मुस्कुरा कर वो बात टाल देता
तो हम साथ होते शायद,
अगर मेरी गलती ना होती
मैं वक़्त रहते पलट जाता
तो हम साथ होते शायद,
मैं बेवकूफ़ी मे इंकार करना छोड़
उससे मिल लेता
तो हम साथ होते शायद,
मुस्कुरा कर वो बात टाल देता
तो हम साथ होते शायद,
अगर मेरी गलती ना होती
तो उसने यूँ छोड़ा ना होता, 
मुझे वापस आता देख उसकी ज़िन्दगी में
मुह मोड़ा ना होता, 
आज साथ बैठ कर
चाय हाथों मे लिए
उस बात को याद कर रहे होते
तो क्या बात होती ना, 
मेरी गलती नहीं होती शायद
तो ऐसा ना होता 
आज मैं अकेले ऐसे
यूँ ना होता  
.
काश, मैं वक़्त रहते पलट जाता..

- मयंक भारत भूषण लौतरिया मैं वक़्त रहते पलट जाता
तो हम साथ होते शायद,
मैं बेवकूफ़ी मे इंकार करना छोड़
उससे मिल लेता
तो हम साथ होते शायद,
मुस्कुरा कर वो बात टाल देता
तो हम साथ होते शायद,
अगर मेरी गलती ना होती
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मैं वक़्त रहते पलट जाता तो हम साथ होते शायद, मैं बेवकूफ़ी मे इंकार करना छोड़ उससे मिल लेता तो हम साथ होते शायद, मुस्कुरा कर वो बात टाल देता तो हम साथ होते शायद, अगर मेरी गलती ना होती #poem #itsbymayank