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शरीर ठंड से सिकुड़ रहा हाथ पांव जैसे अकड़ रहा बे

शरीर ठंड से सिकुड़ रहा 
हाथ पांव जैसे अकड़ रहा 
बेजान सा शरीर हो गया 
ना जाने मैं कब सो गया
नींद खुली तब जान पाया
अपने आपको गोद मे पाया
गोद मेरी प्यारी माँ की थी
मेरे लिए वो अद्भुत अनुभव थी
माँ के स्पर्श से नींद खुल गई 
जैसे मुझको जन्नत मिल गई,
जबतक माँ की छत्रछाया थी
'मधुकर' बड़ा खुशनशीब था,
क्योंकि उस समय मै अपनी
माँ के बिलकुल करीब था, 
माँ रूठी तो जग रूठ गया
जब साथ हमारा छूट गया,
पर माँ का प्यार मैने पाया था
जन्नत सी खुशियाँ घर आया था, 
ऐसी चमत्कार तो होती है तब
कोमल धूप का स्पर्श मिला जब।
---मधुकर  सुप्रभात।
सुबह की कोमल धूप का स्पर्श मिलता है तो धरती खिल उठती है।
#कोमलधूप #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi  
#anil_madhukar
शरीर ठंड से सिकुड़ रहा 
हाथ पांव जैसे अकड़ रहा 
बेजान सा शरीर हो गया 
ना जाने मैं कब सो गया
नींद खुली तब जान पाया
अपने आपको गोद मे पाया
गोद मेरी प्यारी माँ की थी
मेरे लिए वो अद्भुत अनुभव थी
माँ के स्पर्श से नींद खुल गई 
जैसे मुझको जन्नत मिल गई,
जबतक माँ की छत्रछाया थी
'मधुकर' बड़ा खुशनशीब था,
क्योंकि उस समय मै अपनी
माँ के बिलकुल करीब था, 
माँ रूठी तो जग रूठ गया
जब साथ हमारा छूट गया,
पर माँ का प्यार मैने पाया था
जन्नत सी खुशियाँ घर आया था, 
ऐसी चमत्कार तो होती है तब
कोमल धूप का स्पर्श मिला जब।
---मधुकर  सुप्रभात।
सुबह की कोमल धूप का स्पर्श मिलता है तो धरती खिल उठती है।
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