31-May-2019 (11:00 pm) मेरी कलम से~ Self Made~ तेरी यादों में जाग रहा हूँ मैं, खुद से छिपकर, खुद से ही कहीं भाग रहा हूँ मैं... जाम खुद ही भरा है मैने आधा-आधा, प्यालों में यारो, अब खुद के प्याले में ही, तुम से ज्यादा मांग रहा हूँ मैं... तुमने ही तो की थी फरमाइश, महफ़िल सजाने की मुझसे यारो, पीकर जाम उसकी यादों में, रात भर बेवजह अब, जाग रहा हूँ मैं... इक अधूरी सी ग़ज़ल को मुक्कमल करने की कोशिश में, कागज पर कुछ लिख रहा हूँ,और बार बार फाड़ रहा हूँ मैं... मैं आईना होता तो, अक्स बन मुझमे रोज समाती तुम, मिट्टी का पुतला भर हूँ अभी,खुद को ही समेट रहा हूँ मैं... मुक्कमल होता इश्क़ मेरा भी अगर, तो शायद कुछ ना होता मैं, अभी तू देख शायर हूँ मैं, इतना काम है के, अपने ही लिखे शेर निखार रहा हूँ मैं... के यूँ ना उलझो मुझसे ऐ सियासतदानो, शायद कल मैं भी PM बन जाऊँ, तुम जानते हो क्या बरसो तक चौकीदार रहा हूँ मैं... बहुत समझाया हमने उनको, की शायद समझदार हो जाए, अब सोचता हूँ छोड़ो जाने दो, फ़िजूल ही मूर्खो में अक्ल बाँट रहा हूँ मैं... 31-May-2019 (11:00 pm) मेरी कलम से~ Self Made~ तेरी यादों में जाग रहा हूँ मैं, खुद से छिपकर, खुद से ही कहीं भाग रहा हूँ मैं...