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चांद भी लगता हैं पिद्दी सा, तेरे कानों की बाली से

चांद भी लगता हैं पिद्दी सा, तेरे कानों की बाली से
सूरज की लाली फीकी लागे,तेरे अधरो की लाली से
हर सुबह तेरा दीदार जिसे हो जाए उसके क्या कहने
नव पल्लव सा तेरा रूप लगे,जैसे निकला अभी हो डाली से

©Ankur tiwari #Morning 
चांद भी लगता हैं पिद्दी सा, तेरे कानों की बाली से
सूरज की लाली फीकी लागे,तेरे अधरो की लाली से
हर सुबह तेरा दीदार जिसे हो जाए उसके क्या कहने
नव पल्लव सा तेरा रूप लगे,जैसे निकला अभी हो डाली से
✍️ अंकुर तिवारी
चांद भी लगता हैं पिद्दी सा, तेरे कानों की बाली से
सूरज की लाली फीकी लागे,तेरे अधरो की लाली से
हर सुबह तेरा दीदार जिसे हो जाए उसके क्या कहने
नव पल्लव सा तेरा रूप लगे,जैसे निकला अभी हो डाली से

©Ankur tiwari #Morning 
चांद भी लगता हैं पिद्दी सा, तेरे कानों की बाली से
सूरज की लाली फीकी लागे,तेरे अधरो की लाली से
हर सुबह तेरा दीदार जिसे हो जाए उसके क्या कहने
नव पल्लव सा तेरा रूप लगे,जैसे निकला अभी हो डाली से
✍️ अंकुर तिवारी
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Ankur tiwari

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#Morning चांद भी लगता हैं पिद्दी सा, तेरे कानों की बाली से सूरज की लाली फीकी लागे,तेरे अधरो की लाली से हर सुबह तेरा दीदार जिसे हो जाए उसके क्या कहने नव पल्लव सा तेरा रूप लगे,जैसे निकला अभी हो डाली से ✍️ अंकुर तिवारी #शायरी