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वो कुछ नाराज से थे, पर जताया भी नहीं, समझ भी नहीं

वो कुछ नाराज से थे,
पर जताया भी नहीं,
समझ भी नहीं पाया था मैं,
और उसने समझाया भी नहीं...!!

शायद इंतजार था उन्हें भी,
मेरी एक गलती का,
मुंह मोड़ लिया ऐसा,
कि बताया भी नहीं...!!

मुझे स्वीकार थे उसके,
सारे गिले शिकवे,
पर उसने कुछ सिकायत, 
किया भी तो नहीं...!!

ताल्लुक तोड़ना आसान तो नहीं था,
पर तोड़ लिया हैं उसने,
ख्वाहिश तुझे अपना बनाने की मुझे भी ना थी,
मैं तो तुझसे जुड़ के ही खुश था...!!

©Shubham Rai
  #Hindi #Poetry #SAD
shubhamrai1863

Shubham Rai

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#Hindi Poetry #SAD #शायरी

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