Nojoto: Largest Storytelling Platform

बहुत यादें हैं तुम्हारी, मगर फिर भी न तुम हमारी

  बहुत यादें हैं  तुम्हारी,
मगर फिर भी न तुम हमारी।
बातें हुई नहीं पूरी हमारी,
मगर जाने की घड़ी आ गई तुम्हारी।
रोकना चाहा तुम्हें बहुत, 
मगर उससे पहले मंजिल आ गई तुम्हारी।
देर कर दी मैंने कहने में,
मगर तुम चुप्पी न समझी हमारी।

©Ashish Mishra
  #बहुतयादें #हैतुम्हारी