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कच्ची मिट्टी से गढ़ी जाती है स्त्री, पर नही पकाई ज

 कच्ची मिट्टी से गढ़ी जाती है स्त्री,
पर नही पकाई जाती है 
परिपक्वता की आग में ,
डाला जाता है उसे बार बार,
संस्कारो के सांचे में ,
बार बार बदलता है स्वरूप उसका,
उसके अपनो की  इच्छानुसार ,
पर नही कर पाती प्रतिकार वो,
शायद मानती है इसे नियति अपनी,
और ढालती रहती है ख़ुद को ,
एक नए स्वरूप में,
अपने हर स्वरूप का मान रख,
नाचती रहती है कठपुतली सी,
नही पाना चाहती ख़ुद को ,
इस आडम्बरो की दुनिया में,
नही लाना चाहती ख़ुद को ,
एक कच्ची मिट्टी से बनी स्त्री ,
ढल जाती है हर रूप में।।

©poonam atrey
  #स्त्री_व्यथा 
#कच्चीमिट्टीसीस्त्री कवि संतोष बड़कुर Hardik Mahajan MIND-TALK Mohan raj Raj Guru  Mahi gauri kavi mustfa "Shera" Anuja sharma Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)  Anshu Pandey Anil Ray Mili Saha Ambika Mallik अदनासा-  GRHC~TECH~TRICKS Saloni Khanna Motivational indar jeet guru Anshu writer Meharban Singh Josan  Poonam Suyal ANSARI ANSARI @gyanendra pandey Rakesh Srivastava RUPENDRA SAHU "रूप"  Anshu writer Poonam Suyal RUPENDRA SAHU "रूप" भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Atri Vikas " Sagar "  पथिक Lotus banana (Arvind kela)  Amit Bharti Shrivastav Sunita Pathania अकेला मानव  Rakesh Kumar ray Ashutosh Mishra Balwinder Pal Ravi Ranjan Kumar Kausik Praveen Jain "पल्लव"  Badal Singh Kalamgar Dhanya Sajeev Sethi Ji Puja Udeshi Lalit Saxena