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एक ही परिवार मे, कई परिवार बन जाते है। देखते देखत

एक ही परिवार मे, 
कई परिवार बन जाते है।
देखते देखते परिवार केवल देखने,
पर्व त्योहार में ही आते हैं।
अफसोस दूर से ही जताते हैं।
दुःख में दूर ही रहना चाहते हैं।
एक ही अवसर पर सब अक्सर आते हैं।
किसी का अर्थी उठे तो, 
सब परिवार का अर्थ बताने आते हैं।
एक ही घर के लोग, मेहमान बन जाते हैं।
मान सम्मान खोजते हैं मिलजुल मान नहीं बढ़ातें है।

©Narendra kumar
  #Internationalfamilyday