White "साँसों की दस्तक देकर, हे मानव! तेरे लिए प्रभु ने; ज़िन्दगी का दरवाज़ा, तो था खोल दिया; घुसते-घुसते इसमें तुझे, मोह-माया ने घेर लिया। कभी मिली तुझे ठोकर, मिला तुझे कभी धोखा; कभी हँस-हँसकर जीया यहाँ, कभी जीया तू रो-रोकर; ग़र तू गिर-गिरकर संभल गया, समझो जीवन तेरा संवर गया। तन को अपने तूने, गलती का पुतला बना दिया; पर गलतियों ने तुझे रूला दिया, तो सही मार्ग भी है दिखा दिया; ग़र तू गलती करके पछता लिया, समझो कर्मों को सफल तूने बना लिया।।" ©Anjali Singhal "साँसों की दस्तक देकर, हे मानव! तेरे लिए प्रभु ने; ज़िन्दगी का दरवाज़ा, तो था खोल दिया; घुसते-घुसते इसमें तुझे, मोह-माया ने घेर लिया। कभी मिली तुझे ठोकर, मिला तुझे कभी धोखा;