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#5LinePoetry ठिठुरती धूप को भी पूस में दिए का उजाल

#5LinePoetry ठिठुरती धूप को भी पूस में दिए का उजाला चाहिए 
सर्द हवाओं और कोहरे की जकड़ से छूटने को सहारा चाहिए 
बदल जाते हैं कड़कड़ाती धूप के भी तेवर पूस के बुढ़ापे में 
माह में नन्हे नन्हे कदमों से आएगी धूप फिर लुकाछिपी खेलने
फागुन आते आते धूप का पारा लगातार लग जाएगा बढ़ने 
चैत्र और बैसाख में तो फिर  से लग जाएगी ज्यादा अकड़ने 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla #5LinePoetry  R Ojha  SIDDHARTH.SHENDE.sid  Lalit Saxena  Sethi Ji  Ashutosh Mishra  Mili Saha
#5LinePoetry ठिठुरती धूप को भी पूस में दिए का उजाला चाहिए 
सर्द हवाओं और कोहरे की जकड़ से छूटने को सहारा चाहिए 
बदल जाते हैं कड़कड़ाती धूप के भी तेवर पूस के बुढ़ापे में 
माह में नन्हे नन्हे कदमों से आएगी धूप फिर लुकाछिपी खेलने
फागुन आते आते धूप का पारा लगातार लग जाएगा बढ़ने 
चैत्र और बैसाख में तो फिर  से लग जाएगी ज्यादा अकड़ने 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla #5LinePoetry  R Ojha  SIDDHARTH.SHENDE.sid  Lalit Saxena  Sethi Ji  Ashutosh Mishra  Mili Saha