#5LinePoetry ठिठुरती धूप को भी पूस में दिए का उजाला चाहिए सर्द हवाओं और कोहरे की जकड़ से छूटने को सहारा चाहिए बदल जाते हैं कड़कड़ाती धूप के भी तेवर पूस के बुढ़ापे में माह में नन्हे नन्हे कदमों से आएगी धूप फिर लुकाछिपी खेलने फागुन आते आते धूप का पारा लगातार लग जाएगा बढ़ने चैत्र और बैसाख में तो फिर से लग जाएगी ज्यादा अकड़ने बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla #5LinePoetry