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जान दे दूँ कभी मर कर देखूँ इश्क़ की हद से गुज़र कर

जान दे दूँ कभी मर कर देखूँ 
इश्क़ की हद से गुज़र कर देखूँ

हमको दरिया तो डुबाने से रही   
 तेरी नज़रों में उतर कर देखूँ 
 
वो मुझपे नज़रें टिकाये बैठा है
  उसकी ख़्वाहिश है पलट कर देखूँ

  वो ख़ुदा सा हो गया मेरे झुकने से 
सोचता हूँ लहज़ा बदल कर देखूँ  #नज़र
जान दे दूँ कभी मर कर देखूँ 
इश्क़ की हद से गुज़र कर देखूँ

हमको दरिया तो डुबाने से रही   
 तेरी नज़रों में उतर कर देखूँ 
 
वो मुझपे नज़रें टिकाये बैठा है
  उसकी ख़्वाहिश है पलट कर देखूँ

  वो ख़ुदा सा हो गया मेरे झुकने से 
सोचता हूँ लहज़ा बदल कर देखूँ  #नज़र