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किसी से रूठने का सलीका भी आता हैं, तो किसी को मनान

किसी से रूठने का सलीका भी आता हैं, तो किसी को मनानें का तरीका भी ढूढ़ लेती हूँ।
कोईं समझें ना हमें अपना तो परवाह नहीं करती ,सबको अपना बनानें का हुनर ढूढ़ लेती हूँ।
सारी ख्वाहिशे खुली आँखों में हैं, बन्द आँखों से पूरा करनें की तरकीबें ढूढ़ लेती हूँ,
दिल में हैं तकलीफ बहुत पर दर्द में भी खुशी की हंसी ढूढ़ लेती हूँ।
गुमसुम हैं ये मन बहुत पर खिलखिलाहट से मुस्कान लानें का अंदाज़ ढूढ़ लेती हूँ।
बकबक करना आदत है बहुत क्योंकि खामोशियों में भी अल्फ़ाज़ ढूढ़ लेती हूँ।
हैं नहीं कोई साथ फिर भी नहीं हूँ अकेली मैं, क्योंकि मैं अपने अंदर ही एक बहुत प्यारा साथी ढूढ़ लेती हूँ✍️✍️ 2 march 2018 ko likhi gy th kuchh diary k panno se❤️❤️❤️
किसी से रूठने का सलीका भी आता हैं, तो किसी को मनानें का तरीका भी ढूढ़ लेती हूँ।
कोईं समझें ना हमें अपना तो परवाह नहीं करती ,सबको अपना बनानें का हुनर ढूढ़ लेती हूँ।
सारी ख्वाहिशे खुली आँखों में हैं, बन्द आँखों से पूरा करनें की तरकीबें ढूढ़ लेती हूँ,
दिल में हैं तकलीफ बहुत पर दर्द में भी खुशी की हंसी ढूढ़ लेती हूँ।
गुमसुम हैं ये मन बहुत पर खिलखिलाहट से मुस्कान लानें का अंदाज़ ढूढ़ लेती हूँ।
बकबक करना आदत है बहुत क्योंकि खामोशियों में भी अल्फ़ाज़ ढूढ़ लेती हूँ।
हैं नहीं कोई साथ फिर भी नहीं हूँ अकेली मैं, क्योंकि मैं अपने अंदर ही एक बहुत प्यारा साथी ढूढ़ लेती हूँ✍️✍️ 2 march 2018 ko likhi gy th kuchh diary k panno se❤️❤️❤️