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अब वो बस सब्ज़ी घर पर खंजर से काटता है, वो आजकल शरी

अब वो बस सब्ज़ी घर पर खंजर से काटता है,
वो आजकल शरीफ हो गया है पर बल नहीं गया है।

दीवाली वर्जित है उसे न जाने कौन सा बम फोड़ दे,
वो आजकल शरीफ हो गया है पर बल नहीं गया है।

पहले वो गाजर मूली की तरह काटता था
आजकल तरकारी काटता है।
उसकी बस ताकत को मोड़ दिया है और देखो बल नहीं गया है।
अब वो बस सब्ज़ी घर पर खंजर से काटता है,
वो आजकल शरीफ हो गया है पर बल नहीं गया है।

दीवाली वर्जित है उसे न जाने कौन सा बम फोड़ दे,
वो आजकल शरीफ हो गया है पर बल नहीं गया है।

पहले वो गाजर मूली की तरह काटता था
आजकल तरकारी काटता है।
उसकी बस ताकत को मोड़ दिया है और देखो बल नहीं गया है।