प्रेम : आज कल का.... रोज मुलाकातें होती थीं, बहुत सारी प्यारी बातें होती थीं. तुमसे एक पल भी दूर नहीं सह सकता, बात यही पे आके रुकती थीं. क्या यही प्रेम था... या यह प्रेम हैं,, दो महीने से बिछड़े हैं, ना मुलाकातें हैं,ना प्यारी बातें हैं. ना यादें हैं ना ही आँखों में आँसू हैं, दूरी हैं मजबूरी हैं यह समस्या बहुत भारी हैं. प्रेमी के बिना ही जीवित यह लवस्टोरी हैं दिन को भी रात समजते हैं, खाते हैं सोते हैं दिनभर यही करते हैं, दिखता जब सनम ऑनलाइन, तो ऑफलाइन होके भाग जाते हैं. #hkkhindipoetry #tmkosh #हिन्दी_काव्य_कोश #YourQuoteAndMine Collaborating with हिन्दी काव्य कोश #hkkhindipoetry #लवआजकल #yqhindi रोज मुलाकातें होती थीं, बहुत सारी प्यारी बातें होती थीं. तुमसे एक पल भी दूर नहीं सह सकता, बात यही पे आके रुकती थीं. क्या यही प्रेम था... या यह प्रेम हैं,,