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लघु मापनी आधारित गीतिका मापनी– 21 12 धूप तले, छां

लघु मापनी आधारित गीतिका
मापनी– 21 12

धूप तले,
छांव पले।

रात ढली,
प्रात चले।

चांद उगा,
शाम ढले।

नाग बसा,
नाथ गले।

जीव जगा,
मृत्यु छले।

प्रेम हुआ,
प्राण जले।

झूठ सदा,
हाथ मले।

शांति सुधा,
युद्ध टले।

मौन भला,
क्रोध दले।

पूर्ण हुआ,
कृत्य फले।

©दिनेश कुशभुवनपुरी
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