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दो दिन तक है कुछ नहीं करना, होली खूब मानना है। सार

दो दिन तक है कुछ नहीं करना, होली खूब मानना है।
सारे शिकवे गिले भूलकर, सब को गले लगाना है।
ढोल,मंजीरा,झाल बैठ ले, फाग झूम के गायेंगे।
लाल गुलाल रंग पिचकारी,ले गलियों में धूम मचाएंगे।
औरों को भी रंग के रंग में, रंग में खुद रंग जाना है।
दो दिन तक है कुछ नहीं करना....।
रंगों की त्योहार है होली, सब को ये रंग जाती है।
रंग बिना जीवन है सूना, ये सब को बतलाती है।
भूल के सारे गम की इस दिन ,गीत खुशी का गाना है।
दो दिन तक है कुछ नहीं करना....।
जो रह जायेंगे वो खेलेंगे,अगले बरस की होली में,
यादें उनकी रह जायेगी, जो खेलेंगे इस होली में।
अगले बरस हम मिलें न मिलें, ये अवसर नहीं गंवाना है।
दो दिन तक है कुछ नही करना....।
सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं,खुश रहें।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # होली खूब मनाएंगे।