किसीकी कागज़ी शाख़-ए-नर्गिस नहीं हूँ मैं, झूठी शान-ओ-शौक़त का वारिस नहीं हूँ मैं संभाल रखी है बक्स-ए-दिल में मोहब्बत तेरी, बाद तेरे जाने के भी मुफ़्लिस नहीं हूँ मैं फिर क्यों तुझे न तेरी आज़ादी देता मेरी जान, तेरे मामले में बेजान हूँ, बेहिस नहीं हूँ मैं – रजनीश्वर चौहान शाख़-ए-नर्गिस - Branch of narcissus ( Flower ) बक्स-ए-दिल - Chest/Trunk of heart मुफ़्लिस - Poor/Bankrupt बेहिस - Insensitive फिर क्यों तुझे न तेरी आज़ादी देता मेरी जान, तेरे मामले में बेजान हूँ, बेहिस नहीं हूँ मैं – रजनीश्वर चौहान #RajniWrites #RajnishwarChauhan #Rajnish #PoemByRajnishwarChauhan #Ghazal