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प्रेम का अर्थ ना जाने कोई प्रेम है अर्थ प्रेम है

प्रेम का अर्थ ना जाने कोई 
प्रेम है अर्थ प्रेम है अनर्थ प्रेम ही है ग्रंथ 
प्रेम से जो प्रेम जाने वही सो प्रेम करे 

प्रेम है बंधन प्रेम है आजादी,मान है प्रेम 
प्रेम ही अभिमान है 
प्रेम से जो प्रेम करे वही प्रेम का स्वाभिमान है 

सुध बुध खो प्रेम जो कान्हा से प्रेम करे
 दीवानी राधा होय जग बलिहारी जाए 
होके मतवाली दीवानी राधा कान्हा कान्हा रटते जाए
 
प्रेम अनंत है प्रेम निरंतर है 
प्रेम से बढ़कर कोई ना जग में मंत्र है
कन कन में प्रेम है हर बंधन में प्रेम है 
आजादी के रंग में प्रेम हैं 
निस्वार्थ  जो हैं वो प्रेम हैं

©Rk_karn1511अनकही सी बातें 
  प्रेम से बढ़कर ना कोई मंत्र #filling #Love #kvita #poatry #positive #thots

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