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सागर है सारी नदियों,नालों का ठिकाना है मंजिल उनकी

सागर है सारी नदियों,नालों का ठिकाना
है मंजिल उनकी सागर, ये हमने जाना

हम तमाम उम्र बेमकसद गुजारते रहे वक़्त 
मंजिल क्या है यह विरलों ने ही पहचाना।

जो सुना, जो देखा, उसी से जोड़ बैठे खुद को
दिल के नाम पर सीखा है बदन को सहलाना।

कभी जंगल,कभी बस्ती,कभी साहिल पर
सुकून तो मिलता है भीतर, यह है बताना।

©Kamlesh Kandpal
  #Thikana