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सोचो तो जरा,घर भी चंद दिनों का ठिकाना हैं कमलेश ल

सोचो तो जरा,घर भी चंद दिनों का ठिकाना हैं 
कमलेश लेकिन  हमने यह कहाँ माना है।
रंग रोगन, नक्कासी में वक़्त जाया किया,
ईंट पत्थर ही तो हैं, इन्हें भी जमाने को दिखाना हैं

©Kamlesh Kandpal
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