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यारा इंसानों की बस्ती से दूर खिलते है अब फूल गर्द

यारा इंसानों की बस्ती से दूर खिलते है अब फूल 
गर्दो ग़ुबार से भरे शहरों में फांक रहे है सब धूल।

गाड़ी, बंगला, ऐशो आराम तो बहुत है शहर में 
कुदरत से खिलवाड़ करना भी है गजब भूल।

शाक भाजी भा नहीं है किसी भी इंसान को अब 
मांस मदिरा और खा रहे जाने सब उल जुलूल।

©Kamlesh Kandpal
  #dhul