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अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं तनिक प्रयास कर लेती

अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं 
तनिक प्रयास कर लेती हूँ
खुद में हंस-रो कर 
खुद के खुदा संग हो लेती हूँ  । 

बहती रहती गंग-धार सी
भागीरथ प्रेम जटाओं से
गिरती रहती अनवरत अनथक
गोरसोप्पा प्रवाहों सी, 
समुद्र तक की पहुँच को
स्याही शब्दों में पिरो लेती हूँ  । 
अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं ।
 तनिक प्रयास कर लेती हूँ । 
                                                                                                                                                    
चित्-चिंताओं में उत्ताप लहरें
विसरे सब अनुबंध हैं
कितने भी रहें शून्य पिरोते
1से9 गुणा-जोड़ के प्रबंध हैं   
ऐसे ही गिर- उठ की छांव-धूप में
प्रयासों को जगह देती हूँ । 
अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं
तनिक प्रयास कर लेती हूँ । 


विद्या-अविद्या की प्रवृत्ति
दोनों मेरी रग-रज में
अविद्या का मुक्ति पथ विद्या से प्रशस्त
अविद्या विद्या के समापन में 
ऐसी मन की तू-मै में
हम संग हो लेती हूँ । 
अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं
तनिक प्रयास कर लेती हूँ  ।
अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं 
तनिक प्रयास कर लेती हूँ
खुद में हंस-रो कर 
खुद के खुदा संग हो लेती हूँ  । 

बहती रहती गंग-धार सी
भागीरथ प्रेम जटाओं से
गिरती रहती अनवरत अनथक
गोरसोप्पा प्रवाहों सी, 
समुद्र तक की पहुँच को
स्याही शब्दों में पिरो लेती हूँ  । 
अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं ।
 तनिक प्रयास कर लेती हूँ । 
                                                                                                                                                    
चित्-चिंताओं में उत्ताप लहरें
विसरे सब अनुबंध हैं
कितने भी रहें शून्य पिरोते
1से9 गुणा-जोड़ के प्रबंध हैं   
ऐसे ही गिर- उठ की छांव-धूप में
प्रयासों को जगह देती हूँ । 
अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं
तनिक प्रयास कर लेती हूँ । 


विद्या-अविद्या की प्रवृत्ति
दोनों मेरी रग-रज में
अविद्या का मुक्ति पथ विद्या से प्रशस्त
अविद्या विद्या के समापन में 
ऐसी मन की तू-मै में
हम संग हो लेती हूँ । 
अब लिख नहीं पाती गीत कोई मैं
तनिक प्रयास कर लेती हूँ  ।