भूतकालिक स्मृतिया रास्ता रोके ख़डी हैँ सामबे औऱ तुम मुझे सिखा रहे हो किसी नए लोक की संस्कृति सम्भव लगता नहीं कि मैं बदल पाऊँगा अपनी पारम्परिक अभिव्यक्तीया ऱस नहीं हैँ अब मेरा किसी नई यात्रा में मैं भी पहुंच जाऊंगा कही न कही यही बैठे बैठे जैसे सभी लोग कही न कही पहुंच ही रहे है........ भूतकालिक स्मृतिया