वक़्त की गर्द में यादें धुंधला न जाएं, अपनों की हँसी कहीं खोला न जाएं। रिश्तों की शाख़ों को सींचते रहो सदा, सूखे पत्तों सा कोई बिखर न जाए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर