इश्क़ एक तरफा हो सकता है सुना है, उस एक तरफे लोगों को मिट जाते हुए भी देखा है, लेकिन किसी ने भी दोस्ती के बारे मे नहीं कहा, दोस्ती निभाई केसे जाती है, उस पर किसी ने गौर नहीं किया, क्या दोस्ती भी एक तरफी हो सकती है? क्यों हर बार इश्क़ को ही अहमियत दी जाती है? क्यों हर बार एक तरफा इश्क़ की ही बात की जाती है? क्यों कोई एक तरफी दोस्ती की बात नहीं करता? क्यों कोई एक तरफा दोस्त बनना नहीं चाहता? क्या दोस्ती भी एक तरफी हो सकती है? क्यों हर बार दोस्ती मे मुजे ही जुकना पडता है? क्यों हर बार, हर वक्त मुजे ही समझना पडता है? क्या तुम एक बार भी मुजे समझ नहीं सकते? क्या तुम मुजे एक बार भी दिलासा नहीं दे सकते? क्या दोस्ती भी एक तरफी हो सकती है? हर बार तेरे टूटने पर मेने तुम्हे फिर जोडा है, हर पल तेरे गम मे मेने तुजे हसाने की कोशिश की है, लेकिन जब मुजे ज़रुरत थी तुम्हारी, तो तुम कहाँ चले जाते थे? जब में बुलाता था तुम्हे, तुम क्यों मुजे टाल दिया करते थे? क्या दोस्ती भी एक तरफी हो सकती है? Yash Jani to be continued... क्या दोस्ती भी एक तरफी हो सकती है? part 1 #dosti