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लहरपुर मे रहकर भी हमने गांव से रिश्ता जोडा है, अन

लहरपुर मे रहकर भी हमने गांव से रिश्ता जोडा है,  अनजान रहे हम लोगो से उनसे ही हमने सीख लिया। लोगो से जो प्रेम मिला उसका हमने सम्मान  किया, जनसेवा कल्याण के खातिर कन्हैयालाल ने मंदिर का निर्माण किया।कुछ झण बीते हम भी लोगो के प्यार भरे रिश्ते को भूल गए, भूल के कारण लोगो ने हमको सरलता से भूला दीया। फिर से हम रिश्ता जोडेगे गांव मे प्यार बटोरेगे। गांव से मिलकर हम फिर  से प्रधान कहायेगे, हम गांव का नाम बढायेगे हम फिर से नाम कमायेगे।                              स्वरचित कविता

©Shivansh dixit
  गांव पर मेरा आत्मविश्वास

गांव पर मेरा आत्मविश्वास #कविता

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