हस कर मिलना था अश्कों के साथ नहीं दिलों को मिलाना था सिर्फ हाथ नहीं बार बार मिले और फिर हममें तुम ऐसे घुल गए तुमसे मिलते रहे हम और ख़ुद से मिलना भूल गए .. तुम्हारी खुशियों को चुना खुद की परवाह ना कि हस्ते रहे सहते रहे हमने पर आह ना कि मेरे आँसू मेरी मुस्कुराहट साथ आते थे वो जैसे दोस्त बन वो मिल-जुल गए आँसू साथ लिए हस कर तुम्हें मिलते रहे हम और ख़ुद से मिलना भूल गए. .. - मयंक भारत भूषण लौतरिया हस कर मिलना था अश्कों के साथ नहीं दिलों को मिलाना था सिर्फ हाथ नहीं बार बार मिले और फिर हममें तुम ऐसे घुल गए तुमसे मिलते रहे हम और ख़ुद से मिलना भूल गए