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theABHAYSINGH_BIPIN

#Sands ज़िंदगी का कोई हक़दार नहीं है, हर अब आशिक़ वफ़ादार नहीं है। साहिल से ताकता हूँ दूसरी छोर को, नाव-ए-ज़िंदगी का कोई पतवार नहीं है। इश्क़ करो और दिल महफ़ूज़ रहे, ये इश्क़ है, कोई चमत्कार नहीं है।

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Red sands and spectacular sandstone rock formations ज़िंदगी का कोई हक़दार नहीं है,
हर अब आशिक़ वफ़ादार नहीं है।
साहिल से ताकता हूँ दूसरी छोर को,
नाव-ए-ज़िंदगी का कोई पतवार नहीं है।

इश्क़ करो और दिल महफ़ूज़ रहे,
ये इश्क़ है, कोई चमत्कार नहीं है।
जो जले बिन बुझा, वो चिराग़ कहाँ,
दिल का दर्द अब दरकार नहीं है।

फिर भी दिल में ये उलझन क्यूँ है,
हर साँस में कोई तड़प क्यूँ है।
शायद मोहब्बत अधूरी रह जाए,
मुकम्मल इश्क़ इख़्तियार नहीं है।

ये सफ़र इश्क़ का आसान नहीं,
हर कदम पर एक इम्तिहान सही।
पर दिल को संभालो, आगे बढ़ो,
इश्क़ में मुक़ाम हर बार नहीं है।

वो वक्त बीत गया 'हीर-रांझा' का,
हर शख़्स अब मिलनसार नहीं है।
सुबह का भूला शाम को न आता,
अब मोहब्बत पर एतबार नहीं है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sands 
ज़िंदगी का कोई हक़दार नहीं है,
हर अब आशिक़ वफ़ादार नहीं है।
साहिल से ताकता हूँ दूसरी छोर को,
नाव-ए-ज़िंदगी का कोई पतवार नहीं है।

इश्क़ करो और दिल महफ़ूज़ रहे,
ये इश्क़ है, कोई चमत्कार नहीं है।

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता, दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता। खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं, हर दर्द अब एक फसाना सा लगता। इश्क़ सिर्फ कहानी सा लगता है,

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White वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता,
दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता।
खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं,
हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।

इश्क़ सिर्फ कहानी सा लगता है,
ग़म अब निशानी सा लगता है।
कौन चाहता है ज़ख्मों को भरना,
दर्द-ए-दिल अब रूहानी सा लगता है।

आँखों में न कोई ख्वाब अब बाकी है,
दिल का हर कोना खाली सा लगता है।
जिनसे उम्मीदें थीं, वो पराये निकले यारो,
ज़िंदगी भी अब तूफानी सा लगता है।

हर राह में बस सन्नाटा सा है,
हर कदम पर धोखे का साया सा है।
जिनसे दिल लगाया, वही दूर निकले,
अब हर रिश्ता अफ़साना सा है।

इश्क़ अब सिरफिरा सा खेल लगता है,
हर कदम पर ये जाल सा बिछता है।
फिर भी दिल क्यों लौट जाता है वहीं,
जहाँ हर दर्द अब रूहानी सा लगता है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 

वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता,
दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता।
खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं,
हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।

इश्क़ सिर्फ कहानी सा लगता है,

theABHAYSINGH_BIPIN

#GoldenHour Sheetal Shekhar Sarfraz Ahmad Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) Monu Kumar Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे, ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे। उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर, मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे। अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,

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नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे,
ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे।
उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर,
मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे।

अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,
कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे।
टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी,
अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे।

बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं,
मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी।
मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका,
उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी।

ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी,
मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे।
बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी,
राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे।

भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं,
मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे।
नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर,
मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे।

बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त,
और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे।
मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया,
इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे।

दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा,
तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे।
मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू,
उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN #GoldenHour 
 Sheetal Shekhar  Sarfraz Ahmad  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)  Monu Kumar  Saurabh Tiwari 
 नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे,
ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे।
उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर,
मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे।

अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,

theABHAYSINGH_BIPIN

#SunSet जा रहे हो तुम, फिर लौटकर आओगे, छोड़ता हूँ यहाँ कुछ यादों की किताबें। बेमतलब से अंदाज़, बेपरवाह होकर, जब लौटोगे, वही ख्वाब सजाओगे।

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जा रहे हो तुम, फिर लौटकर आओगे,
छोड़ता हूँ यहाँ कुछ यादों की किताबें।

बेमतलब से अंदाज़, बेपरवाह होकर,
जब लौटोगे, वही ख्वाब सजाओगे।

छोड़कर जा रहा हूँ तुम्हारे मीठे लम्हे,
यकीन है, एक दिन उन्हें ढूंढने आओगे।

बेशक होगी तुम्हें मेरे ठिकानों की तलाश,
मैं नहीं हूँ, मगर एहसास तुम पा जाओगे।

बताएगा हर कोई तुम्हें मेरा पता,
पर जीते जी मुझ तक ना पहुँच पाओगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN #SunSet 

जा रहे हो तुम, फिर लौटकर आओगे,
छोड़ता हूँ यहाँ कुछ यादों की किताबें।

बेमतलब से अंदाज़, बेपरवाह होकर,
जब लौटोगे, वही ख्वाब सजाओगे।

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं, कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

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White रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं,
कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी रुस्वाई से भरी रातें थीं,
तो कहीं जुदाई के आँसू बहाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी उम्मीदों का सूरज उग जाए,
कभी बगैर चाँद आसमान सुना हो जाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी सपनों को बहार मिली,
कभी उम्मीदों पर सितारे गिरे।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी पलकों पे मुस्कानें बिखरीं,
कभी दिलों पे ग़मों के छाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी खुशियों का झरना बहा,
कभी ख़ामोशियाँ गूंजीं यहाँ।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी सर्द हवाओं में आग जली,
कभी गर्मी में बर्फ़ पिघली।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं,
कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari किसी के जाने का थोड़ा दुख तो होता है, अपनों के बदलने में थोड़ा दुख तो होता है। क्यों सोचते हो बार-बार, क्या गलती की हमने, इश्क़ में जान जाने का थोड़ा दुख तो होता है। क्यों बेवजह खुद को समझाते हो, सब ठीक है,

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White किसी के जाने का थोड़ा दुख तो होता है,
अपनों के बदलने में थोड़ा दुख तो होता है।
क्यों सोचते हो बार-बार, क्या गलती की हमने,
इश्क़ में जान जाने का थोड़ा दुख तो होता है।

क्यों बेवजह खुद को समझाते हो, सब ठीक है,
एक शख़्स के लिए आंखें भरना तो होता है।
सिर्फ मिलते नहीं रहबर से खुशियों के गुलदस्ते,
इश्क़ की राहों में दिल का टूटना आम तो होता है।

बीती हसरतें, बातें, एहसास और यादों को,
सोच-सोचकर तबीयत खराब तो होता है।
सोचकर गमगीन होना तो चलता ही है,
किसी के जाने का थोड़ा दुख तो होता है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 

किसी के जाने का थोड़ा दुख तो होता है,
अपनों के बदलने में थोड़ा दुख तो होता है।
क्यों सोचते हो बार-बार, क्या गलती की हमने,
इश्क़ में जान जाने का थोड़ा दुख तो होता है।

क्यों बेवजह खुद को समझाते हो, सब ठीक है,

theABHAYSINGH_BIPIN

#Book चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं, किसी के सपनों को सजाते हैं। खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान, चलो उसे वापस लाते हैं। गिर रहे हैं आंधियों से आशियाँ, चलो नया इक घर बनाते हैं।

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Unsplash चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं,
किसी के सपनों को सजाते हैं।
खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान,
चलो उसे वापस लाते हैं।

गिर रहे हैं आंधियों से आशियाँ,
चलो नया इक घर बनाते हैं।
भटक गए हैं जो अपने रास्तों से,
चलो उन्हें राह दिखाते हैं।

चलो इंसान को इंसान बनाते हैं,
जो फासले बने हैं, उन्हें मिटाते हैं।
जो मासूमियत दब रही है धूल में,
चलो उसे आईना दिखाते हैं।

दम तोड़ रहे हैं जो बेबस लम्हों में,
चलो उन्हें जीने का जज़्बा सिखाते हैं।
जो टूट गए हैं डर के साए में,
चलो उन्हें उम्मीद से मिलाते हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Book 
चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं,
किसी के सपनों को सजाते हैं।
खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान,
चलो उसे वापस लाते हैं।

गिर रहे हैं आंधियों से आशियाँ,
चलो नया इक घर बनाते हैं।

Jeetal Shah

#sad_shayari

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Monika jayesh Shah

#landscape ❣️तकरार दिलों के अफसाने❣️ ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️ कभी कभी लगता है.. क्या लिखे.. कोन पढ़ेगा.. और क्यों पड़ेगा।। बेतुकी सी बाते.. रूहानी सी यादें.. वो जो हमारी तुम्हारी थीं.. बहुत सी.. यादें.. कहीं दिल पर लगी वो सच्ची कड़वी बाते...

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The Janu Show

🙏Lga liya chashma 🕶️😎🙏 saport me guy's like comment share please #Reels #Trending #vairalvideo #shortnails #Video #explorepage #indianfood #wordswag #nojotoofficial शिवोम उपाध्याय प्रशांत की डायरी विवेक ठाकुर "शाद" Riya Choudhary Anshu writer शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन )

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