फागुन आयो सब रंग लगायो, कोई गोरे कोई काले हैं, गउरा पीस रही है भँगिया, बैठे भोले नाथ मतवाले हैं। होरी खेलन को चाहें गउरा, भोले अपने धुन में ऐंठे हैं, रंग गुलाल गौरी लिये खड़ी, भोले भस्म लगाये बैठे हैं। भोले बाबा औघड़ दानी, शमशान में धूनी रमाते हैं, सब कोई खेले रंग अबीर, भोले बाबा भभूत उड़ाते हैं। 🌟 शिवरात्रि प्रतियोगिता- 02 🌟 शीर्षक - भोले बाबा ! 🌟 इस रचना में आपको सिर्फ़ 6 पंक्तियाँ लिखनी हैं, इससे कम या ज़्यादा पंक्तियों में लिखी हुई रचना प्रतियोगिता में मान्य नहीं होगी। 🌟"COLLAB" करने के बाद "COMMENTS" में "DONE" ज़रूर लिखें, जिससे आपकी रचना तक हम आसानी से पहुँच सके!